अगर आप हर महीने ₹500 की छोटी-सी रकम निवेश करते हैं, तो आने वाले 5 या 10 साल में यह छोटी रकम बड़ा फंड बन सकती है। SIP यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान ऐसा टूल है जो छोटे निवेशकों को भी धीरे-धीरे बड़ा फंड बनाने में मदद करता है। यह तरीका खासतौर पर युवाओं, नौकरीपेशा और मध्यम आय वाले लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है।
Contents
SIP क्यों है समझदारी भरा निवेश?
- कम पैसे से निवेश की शुरुआत
- मंथली निवेश से बजट में फर्क नहीं पड़ता
- कंपाउंडिंग के ज़रिए बढ़ता है पैसा
- इक्विटी, डेट और हाइब्रिड जैसे विकल्प मौजूद
₹500 की SIP से कितना फंड बनेगा? (5 साल की गणना)
निवेश राशि | ₹500 प्रति माह |
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समय अवधि | 5 साल |
कुल निवेश | ₹30,000 |
ब्याज दर | 12% प्रतिवर्ष |
लाभ (अनुमानित) | ₹10,552 |
फाइनल कॉर्पस | ₹40,552 |
₹500 की SIP से 10 साल में क्या होगा?
निवेश राशि | ₹500 प्रति माह |
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समय अवधि | 10 साल |
कुल निवेश | ₹60,000 |
ब्याज दर | 12% प्रतिवर्ष |
लाभ (अनुमानित) | ₹52,018 |
फाइनल कॉर्पस | ₹1,12,018 |
SIP बढ़ाने की सलाह – हर साल 10% बढ़ाएं निवेश
अगर आप हर साल ₹500 से शुरू करके 10% बढ़ाते हैं (जैसे दूसरे साल ₹550, फिर ₹605…), तो आपका फंड और तेजी से बढ़ेगा। इस रणनीति को SIP Step-Up कहते हैं और यह कंपाउंडिंग को और प्रभावी बनाता है।
टैक्स में छूट भी
- म्यूचुअल फंड्स पर मिलने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) ₹1.25 लाख तक टैक्स फ्री होते हैं।
- मतलब, ऊपर दिए गए दोनों उदाहरणों में मिलने वाला लाभ टैक्स के दायरे से बाहर रहेगा।
निवेश से पहले ध्यान रखें
फंड चुनते समय रिसर्च ज़रूरी है – Equity, Debt या Hybrid में से चुनें।
SIP में निवेश करते समय नियमितता (Consistency) जरूरी है।
हर 6 महीने या साल में अपने निवेश को रिव्यू करें।
FAQ
क्या ₹500 से निवेश करना फायदेमंद है?
हां, ये छोटे निवेशक के लिए एक शानदार शुरुआत है। धीरे-धीरे बढ़ाकर अच्छा फंड बनाया जा सकता है।
SIP में पैसा कहां जाता है?
SIP से पैसा म्यूचुअल फंड स्कीम में जाता है, जिसे प्रोफेशनल फंड मैनेजर निवेश करते हैं।
क्या SIP में नुकसान हो सकता है?
हां, अगर मार्केट गिरता है तो अस्थायी नुकसान हो सकता है, लेकिन लंबी अवधि में रिकवरी की संभावना अधिक होती है।
SIP कितने समय तक चलाना चाहिए?
कम से कम 5 साल और बेहतर रिजल्ट के लिए 10 साल या उससे अधिक समय तक SIP करें।
SIP बंद करने पर क्या होगा?
SIP बंद करने पर निवेश वहीं रुक जाएगा, लेकिन जो पैसा पहले से जमा है, वह बना रहेगा।

नम्रता मरकाम एक जागरूक निवेशक और समर्पित लेखिका हैं, जो विशेष रूप से म्यूचुअल फंड, स्टॉक मार्केट, और बीमा जैसे वित्तीय विषयों पर लेखन करती हैं, वह Satyajeetsing.in ब्लॉग की सह-संस्थापक हैं और अपने पति सत्यजित सिंह मरकाम के साथ मिलकर इस डिजिटल प्लेटफॉर्म को संचालित कर रही हैं.
नम्रता का लेखन डेटा-सोर्स, मिडिया रिपोर्ट्स, और सरकारी पोर्टल्स पर आधारित होता है, जिससे पाठकों को हर जानकारी सटीक और व्यवहारिक रूप में मिले